एन.पी.आर. सरकारी टीमों के घेराव का ऐलान
12 मार्च 2020, चंडीगढ़- पंजाब के किसानों, मज़दूरों, नौजवानों, छात्रों के 14 जनसंगठनों ने मोदी सरकार के काले कानून नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत लागू किए जा रहे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन.पी.आर.) का बहिष्कार करने का ऐलान करने का ऐलान किया है। एन.पी.आर के आंकड़े जुटाने के लिए आने वाली सरकारी टीमों को काले झण्डे दिखाकर व घेराव करके बहिष्कार को अमली जामा पहनाया जाएगा व पंजाब में एन.पी.आर. को किसी भी हालत में लागू नहीं होने दिया जाएगा। तर्कशील भवन, बरनाला में जोरा सिंह नसराली की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में लिए गए इस फैसले की जानकारी जोगिंदर सिंह उगराहां, राजविन्दर सिंह व बूटा सिंह बुर्जगिल द्वारा जारी संयुक्त ब्यान के जरिए दी गई। नेताओं ने बताया कि बहिष्कार को प्रभावी ढंग से लागू करवाने के लिए पंजाब के शहरों, गाँवों, कसबों में एन.पी.आर. के खिलाफ़ मीटिंगों, रैलियों, झंडा मार्च, सम्मेलनों, धरनों, घेराव आदि रूपों में जोरदार अभियान चलाया जाएगा और सरकार की एनपीआर लागू करने की हर कोशिश को नाकाम किया जाएगा। नेताओं ने पंजाब सरकार के दोगले व्यवहार की सख्त निंदा करते हुए कहा कि केप्टन सरकार एक तरफ तो सीएए-एनपीआर-एनआरसी लागू न करने की बातें कर रही है और दूसरी तरफ एनपीआर पर स्थाई तौर पर रोक लगाने की जगह इसे सिर्फ अस्थाई तौर पर रोकने का नोटीफिकेशन जारी किया गया है। इस तरफ राज्य सरकार जनता को गुमराह करके जारी संघर्ष को धीमा करने के जरिए फासीवादी मोदी हुकूमत के पक्ष में काम कर रही है। संगठनों ने केप्टन सरकार को सख्त चेतावनी दी है कि अगर राज्य में एन.पी.आर. लागू करने की कोशिश हुई तो इसे तीखे जनसंखर्ष का सामना करना होगा। नेताओं ने बताया कि संगठनों की यह जोरदार माँग है कि मुख्य मंत्री केप्टन अमरिंदर सिंह एनपीआर पर स्थाई रोक लगाने संबंधी लिखित ब्यान या सर्कूलर जारी करे।
नेताओं ने बताया कि मोदी सरकार भले ही यह कह रही है कि एन.आर.सी. फिलहाल लागू नहीं किया जाएगा लेकिन वास्तव में यह एन.पी.आर. के रूप में लागू किया जा रहा है। इसके जरिए भारत के करोड़ों मेहनतकशों, मुसलमानों समेत अन्य अल्पसंख्यकों, दलितों, पछड़ों, आदिवासियों, जनवादी-क्रांतिकारी-वैज्ञानिक सोच वाले कार्यकर्ताओं के नागरिकता अधिकार छीनने व हिटलरी तर्ज पर बनी जेलों में ठूँसने की साजिश रची गई है। मोदी हुकूमत भले ही यह भी कह रही है कि सीएए कानून जनहित में है लेकिन केन्द्र सरकार की सरपरस्ती में दिल्ली में संघी गुंडा गिरोहों द्वारा पुलिस की मिलीभगत से मुसलमानों के कत्लेआम जिसमें बेगुनाह हिंदू भी मारे गए हैं, ने मोदी सरकार के जनविरोधी, मुसलमान व अन्य अलपसंख्यक विरोधी मंसूबों के बारे में सभी भ्रम दूर कर दिए हैं।
संगठनों की मांग है कि सी.ए.ए., एन.आर.सी. व एन.पी.आर. तुरंत रद्द हो, एन.आर.सी. की प्रक्रिया के तहत बनाए गए सारे नज़रबंदी कैंप बंद किए जाएं, वहां कैद लोगों को रिहा किया जाए, नागरिकता अधिकारों पर हमले के ख़िलाफ़ प्रचंड जनाक्रोश को दबाने के लिए भड़काई जा रही सांप्रदायिक हिंसा तुरंत बंद हो, दिल्ली में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने के दोषी भाजपा-आर.एस.एस. के नेताओं, हमलावर गुंडों व इनके पालतू पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करके मिसाली सज़ाएं दी जाएं, नागरिकता अधिकारों पर हमले के ख़िलाफ़ शाहीन बाग दिल्ली समेत देश भर में संघर्षरत लोगों पर सभी तरह के हमले बंद हों, उनकी सुरक्षा की गांरटी हो, संघर्षरत लोगों पर दर्ज़ किए गए झूठे केस रद्द हों, गिरफ़्तार किए गए लोग व बुद्धिजीवी रिहा किए जाएं, जे.एन.यू. व जामिया यूनिवर्सिटी तथा देश भर में दमन करने वाले अधिकारियों पर सख़्त कार्रवाई की जाए।
आज की मीटिंग में बी.के.यू. (एकता-उगराहाँ) के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहाँ, बी.के.यू. (एकता-डकौंदा) के प्रधान मनजीत सिंह धनेर, नौजवान भारत सभा (ललकार) के छिंदरपाल सिंह, किसान संघर्ष कमेटी पंजाब के कंवलप्रती सिंह पन्नू, इंकलाबी मज़दूर केंद्र के सुरिंदर सिंह, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह, कारखाना मज़दूर यूनियन के लखविंदर, नौजवान भारत सभा के नेता अशवनी घुद्दा, पीएसयू (ललकार) के जसविंदर सिंह, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन के जोरा सिंह नसरालीव के अलावा किसान नेता मनजीत सिंह धनेर, हरदीप सिंह टल्लेवाल, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, टैक्नीकल सर्विसिज यूनियन, इंकलाबी नौजवान विद्यार्थी मंच, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (शहीद रंधावा) के प्रतिनिधि हाजिर थे।
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