सरकार से 21 दिनों के बंद के कारण श्रमिकों के बैंक खातों में 10 हजार रूपए मुआवजे के तौर पर जमा करवाने की मांग!
सरकार कोरोना का बहाना बनाकर लोगों के जनवादी अधिकारों पर हमले बंद करें!!
- नौजवान भारत सभा
कोरोना वायरस का हवाला देकर मोदी सरकार ने 21 दिनों के पूर्ण: बंद का ऐलान करके लोगों को घरों के अंदर बंद कर दिया है। इस ऐलान से पहले सरकारों ने लोगों को आवश्यक काम-धंधे निपटाने, गुजारे योग्य प्रबंध करने का समय भी नहीं दिया। प्रेस के नाम बयान जारी करते हुए नौजवान भारत सभा के नेता मानवजोत सिंह और पावेल जलालआना ने कहा कि 21 दिनों के बंद का ऐलान देश की मजदूर मेहनतकश आबादी के लिए जीने का भयंकर संकट खड़ा करेगा। उन्होंने कहा कि देश की 80% से भी ज्यादा आबादी रोजाना की रोजाना मेहनत कर अपना और अपने परिवार का पेट भरती है और 21 दिनों के इस बंद के दौरान केंद्र की मोदी सरकार ने इतनी बड़ी आबादी के लिए, उनके गुजारे और अन्य बुनियादी जरूरतों हेतू ठोस सोच विचार किए बिना ही बंद का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय के साथ मोदी की भाजपा सरकार का मेहनतकश विरोधी चेहरा नंगा हो गया है। नेताओं ने कहा कि इस मौके देश के मेहनतकशऔर उनके परिवार हो सकता है कोरोना के लपेटे में न आए या बच जाए, पर 21 दिनों के एकदम बंद के निर्णय के चलते रोजी-रोटी छिन जाने पर भूख के कारण मरने की संभावना बढ़ गई है। नौजवान भारत सभा के नेताओं ने मोदी सरकार के इस अचानक बंद करने के निर्णय की सख्त भर्त्सना करते हुए मांग की है कि देश की कुल मेहनतकश आबादी के लिए फिलहाल एक महीने के गुजारे योग्य कम से कम 10 हजार रूपए मुआवजा जारी किया जाए और यह मुआवजा तुरंत प्रभाव से उनके बैंक खातों में जमा कराया जाए।इसके समेत ही नेताओं ने मांग करते कहा है कि 21 दिनों के पूर्ण बंद के मद्देनजर राशन, सब्जियां, दूध, दालें, साफ़ पानी और अन्य बुनियादी सेवाओं की पहुंच लोगों को उनके घरों तक मुफ़्त और लाजमी करने की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से सरकार उठाए।
नौजवान भारत सभा के नेताओं ने बयान जारी करते हुए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कोरोना वायरस का अंधा भय फैलाकर सारे देश को पुलिस राज बनाकर लोगों के जनवादी अधिकारों पर पाबंदियां थोप देने की सख्त भर्त्सना की है। सभा के नेताओं ने कहा कि उन्होंने पहले ही केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस को नागरिकता अधिकारों के लिए जूझ रहे लोगों पर हमला करने के बहाने के तौर पर इस्तेमाल की बात कही थी और बीते दिन नागरिकता अधिकारों की रक्षा के लिए चल रहे संघर्ष का ध्रुव तारा बना शाहीन बाग जो शासकों की आंखों में में पिछले 100 दिन से चुभ रहा था, को पुलिस की जोर-जबर्दस्ती से उठाकर मोदी सरकार ने अपने मंसूबे जगजाहिर कर दिए हैं। उन्होंने दोष लगाया कि सरकार कोरोना को देश के लोगों के जनवादी अधिकारों पर हमला करने के लिए और देश के अंदर उठ रहे विरोध की स्वरों को दबाने के लिए इस्तेमाल कर रही है और लोगों में कोरोना के प्रति वैज्ञानिक प्रचार प्रसार करने की बजाय अंधा भय फैला रही है। उन्होंने शासकों के इन जनविरोधी मनसूबों का लोगों को डटकर विरोध करने और शासकों की इस गंदी मानसिकता को समझने की अपील की है।
नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकारों की भर्त्सना करते हुए कहा कि सरकार कोरोना वायरस के साथ निपटने के लिए कोई उचित प्रबंध करने की बजाय पूरे देश को बंद करके और लोगों को घरों के अंदर बंद कर सारी जिम्मेदारी लोगों पर डाल दी है और लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह पल्ला झाड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते सरकार का ओपीडी सेवाओं को बंद करने का निर्णय पूरी तरह जनविरोधी है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के मौजूदा हालातों से शासकों का स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति झूठा प्रेम व देश के अंदर स्वास्थ्य सेवाओं की मंदी हालत का थोथापन भी लोगों के सामने उजागर हुआ है। इस मौके नेताओं ने ओपीडी सेवाओं को तुरंत प्रभाव से चालू करने और कुल स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए फंड का बड़ा पैकेज जारी करने की मांग की है। नेताओं ने कल पंजाब राज्य में कर्फ्यू के चलते पंजाब पुलिस द्वारा सखती के नाम पर लोगों की मारपीट किए जाने का नोटिस लेते हुए पुलिस की इस करतूत की सख्त भर्त्सना की है।
इस मौके नौजवान भारत सभा मांग करती है कि
1.) केंद्र सरकार देश के सभी मेहनतकशों मजदूरों के बैंक खातों में 1 महीने के गुजारे के लिए कम से कम 10 हजार रूपए डाले।
2.) राशन, दूध, साफ पानी, सब्जियां आदि बुनियादी सुविधाओं की कोरोना के चलते घर तक मुफ़्त और लाजमी पहुंच को सरकार सुनिश्चित करे और इसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले और आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी पर पूर्ण रोक लगाए।
3.) कोरोना का बहाना बनाकर केंद्र और राज्य सरकारें लोगों के जनवादी अधिकारों पर हमले करने और राजनीतिक रोटियां सेंकना बंद करें।
4.) ओपीडी समेत सभी स्वास्थ्य सुविधाएं तुरंत चालू की जाएं और स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए फंड जारी किए जाएं।
अंत में नेताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार कोरोना के प्रति अंधा भय फैलाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की भद्दी हरकतों से बाज आए।
No comments:
Post a Comment