Friday, 13 December 2019

झूठे केसों में अंदर जननेता जनसंघर्ष के दम पर जेल से रिहा!


जनसंघर्ष की शानदार जीत!
हंबड़ाँ (लुधियाना, पंजाब) कत्ल काण्ड के खिलाफ़ संघर्ष के दौरान जेल में बन्द किए गए जनवादी-जनसंगठनों के नेताओं-कार्यकर्ताओं पर थोपे गए झूठे पुलिस केस रद्द हुए, जेल से हुए रिहा!
संघर्ष कमेटी द्वारा 15 दिसम्बर का अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन रद्द, विजय रैली करने का ऐलान!


     हंबड़ा कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष के दौरान जनवादी जनसंगठनों पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल), टेक्सटाईल-हौज़री कामगार यूनियन, भारतीय किसान यूनियन (एकता-डकौंदा) व नौजवान भारत सभा के झूठे पुलिस केस में जेल में बन्द किए 10 नेताओं-कार्यकर्ताओं पर थोपे गए झूठे पुलिस केस रद्द करवा लिए गए हैं। आज जेल से रिहा हुए साथियों का जेल के सामने पहुँचे विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जोशीले नारों के साथ स्वागत किया। जेल प्रशासन के निक्कमेपन की वजह से आई तकनीकी दिकक्त के कारण साथी गुरविन्दर की रिहाई नहीं हो सकी। कल सुबह उनकी रिहाई हो पाएगी। संघर्ष कमेटी द्वारा 15 दिसम्बर से सहायक पुलिस कमिश्नर (पच्छिमी) के सामने रखा अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन रद्द कर दिया गया है। अब 15 दिसम्बर को मज़दूर पुस्तकालय, ताजपुर रोड, लुधियाना पर 2 बजे विजय रैली की जाएगी। 14 दिसम्बर को गाँव हँबड़ाँ व भूँदड़ी में स्वागती मार्च किए जाएँगे। संघर्ष कमेटी ने इसे साझे जनवादी जनसंघर्ष की शानदार जीत करार दिया है। संघर्ष कमेटी के संघर्ष की बदौलत पहले पुलिस को हम्बड़ाँ कत्ल काण्ड के दोषी ठेकेदार रघबीर पासवान को गिरफ्तार करने पर मज़बूर होना पड़ा था। उसे सख्त से सख्त सजा करवाने के लिए व पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिलाने के लिए संघर्ष जारी रहेगा। 

     संघर्ष कमेटी द्वारा आज जारी प्रेस ब्यान में कहा गया है कि 18 नवंबर को जब लोग ठेकेदार रघबीर पासवान पर कत्ल केस दर्ज करने और उसकी गिरफ़्तारी, पीड़ित परिवार को मुआवज़ा देने, कारखानों और अन्य कार्य-स्थलों पर मज़दूरों की सुरक्षा की गारंटी करने आदि माँगों के लिए शान्तिपूर्ण रोष-प्रदर्शन कर रहे थे तो जायज मांगें मानने की जगह पुलिस को लोगों की अधिकारपूर्ण आवाज़ बर्दाशत नहीं हुई और लुधियाना पुलिस प्रशासन ने संघर्षरत लोगों को न सिर्फ़ मारा-पीटा बल्कि संगठनों के नेताओं-कार्यकर्ताओं सुखदेव सिंह भूँदड़ी, राजविन्दर, सुखविन्दर हम्बड़ाँ, जसमीत, गुरविन्दर, मेजर सिंह, जगदीश, चिमन सिंह, गुरदीप और शुलिन्दर को ग्रिफतार कर जेल में डाल दिया। उन पर पुलिस पर हमला करने, सड़क जाम करने और अन्य झूठे दोष लगाकर झूठा पुलिस केस दर्ज कर दिया गया। इस तरह पुलिस ने न सिर्फ़ दोषी को बचाने की कोशिश की है बल्कि यह मज़दूरों के लूट-दमन को बेरोक-टोक चलता रखने की, पूंजीपतियों के जंगल राज को चलता रखने की कोशिश है जहाँ मज़दूरों को कोई हक प्राप्त नहीं, जहाँ मज़दूरों का भयानक अपमान, मारपीट, कत्ल होते हैं। पुलिस ने लोगों के एकजुट संघर्ष करने के जनवादी-संवैधानिक अधिकार को कुचला है। संघर्ष कमेटी ने जनसंघर्ष के दम पर लुधियाना पुलिस प्रशासन के जनता के जनवादी अधिकारों पर इस हमले का डटकर जवाब दिया है।
13.12.2019

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