Thursday, 12 December 2019

नागरिकता संशोधन विधेयक जनविरोधी और साम्प्रदायिक करार!

     नागरिकता संशोधन विधेयक को गैर - जनवादी और जनविरोधी बताते हुए, नौजवान भारत सभा के नेताओं ने भाजपा सरकार को एक फासीवादी सरकार बताया है और उसके इस तानाशाह कारनामे को पूरी तरह से सांप्रदायिक बताया है। नेताओं ने बयान जारी करते हुए कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक भारतीय संविधान की तथाकथित धर्मनिरपेक्षता को मुंह चिढ़ाता है, जिसमें धर्म आधारित नागरिकता देने का कोई प्रावधान नहीं है। पर अब इस विधेयक के अंतर्गत मुसलमानों को छोड़कर अन्य धर्मों के लोग जो देश में शरणार्थी के तौर पर आते हैं, उनको भारतीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान शामिल है। यह विधेयक जो पहले लोकसभा में पास होने के बाद अब राज्य सभा में पास होकर कानून बन चुका है, देश के अंदर सांप्रदायिक के जरिए ध्रुवीकरण को और ज्यादा उग्र करेगा। देश में पहले ही मुसलमान सहमे और डर के माहौल में रहने को मजबूर हैं। नागरिकता संशोधन विधेयक के अन्तर्गत देश में बस रहे लाखों लोगों को, जिसमें मुख्य तौर पर मुसलमानों को चिह्नित किया जाना तय है, घुसपैठिया घोषित कर भारतीय नागरिकों को सूची से बाहर कर दिया जाएगा, जिसके पश्चात उनको भारतीय नागरिकों वाला कोई अधिकार हासिल नहीं होगा। लंबे समय से इस देश में रह रहे लाखों लोगों को हिटलर की तर्ज पर बनाए नज़रबंदी शिविरों में मरने गलने के लिए छोड़ दिया जाएगा, या इससे भी बुरा होने की संभावना है। मोदी शाह शासन के इस तानाशाह निर्णय के विरुद्ध पूरे देश, मुख्य तौर पर उत्तर पूर्व में लोगों ने रोष प्रकट किया है। नेताओं ने कहा है कि नौजवान भारत सभा इस काले कानून के विरुद्ध संघर्ष कर रहे लोगों के समर्थन की घोषणा करती है।
     नौजवान भारत सभा का यह स्पष्ट मानना है कि जब से मोदी की भाजपा सरकार राजसिहांसन पर बैठी है, तब से देश में अल्पसंख्यकों के विरुद्ध डर वाला माहौल बनाने को एड़ी चोटी का जोर लगा रही है और देश में साम्प्रदायिकता का जहर घोल रही है। देश के बड़े पूंजीपति घरानों की लूट की गारंटी के लिए प्रबंधकीय कमेटी की भूमिका का निर्वहन कर रही मोदी सरकार का यह स्पष्ट एजेंडा है कि ऐसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के अंतर्गत लोगों, मुख्यतौर पर श्रमिकों पर उनके असल मुद्दे छीनकर काल्पनिक मुद्दों पर लड़ने मरने के लिए युद्ध में झोंक दिया जाए। नेताओं ने कहा है कि संगठन सरकार के इस निर्णय का सख्त विरोध करता है और इस कानून को वापिस लेने की मांग करता है और साथ ही देश के लोगों के नाम अपील जारी करते हुए नेताओं ने कहा है कि राजसिहांसन पर विराजमान शासकवर्गीय पार्टियों, मौके के भाजपा शासन, के जनविरोधी चरित्र को पहचानना चाहिए तथा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की तमाम कोशिशों को पराजित करते हुए अपने वर्ग तबके के संगठनों में संगठित होकर बुनियादी मांगों मुद्दों पर जनपक्षीय लहर को आगे बढ़ाना चाहिए।

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