Thursday, 28 November 2019

●ज्योतिबा फुले के क्रांतिकारी वारिसों ने दिलाया चंगालीवाला(पंजाब) के जाति-पाति तशदद के पीढ़ित जगमेल सिंह को इंसाफ●

●जाति पाति अहंकार में चूर हुए धनाढ्यों द्वारा चंगालीवाला गांव में दलित नौजवान की निर्दयतापूर्ण हत्या का मामला●
●जन संगठनों ने साझे संघर्ष की बदौलत पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया●

पंजाब के जिला संगरूर के लहरागागा के पास गांव चंगालीवाला में एक दलित नौजवान जगमेल सिंह उर्फ जग्गा को गांव के चार धनाढ्यों ने निजी रंजिश के चलते घोर यंत्रणाएं देते हुए मौत के घाट उतार दिया। उन्होंने इस नौजवान को घर में बंद कर उसे बुरी तरह पीटा, उसका मांस तक नौंचा और उसको पेशाब पीने के लिए मजबूर किया। उसकी हालत इतनी नाजुक थी कि उसको चंडीगढ़ के पीजीआई में दाखिल करवाया गया, यहां उसकी जान बचाने के लिए उसकी टांगे काटनी पड़ी। पर इसके बावजूद उसकी जान बच ना सकी। दोषियों का पहले से ही गांव में आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। इनका जगमेल से अतीत में कोई मामूली विवाद हुआ था। जिस पर पंचायत ने समझौता करवाया था, जिसके तहत इन अपराधियों द्वारा जगमेल के परिवार को कुछ पैसे दिए जाने थे। पर बाद में वे इस बात से पलट गए। इसी रंजिश में उन्होंने जगमेल को किसी बहाने घर ले जाकर खंभे से बांध लिया और उसके साथ बुरी तरह मारपीट की। घंटो तक यंत्रणाएं देने के बाद उन्होंने जख्मी हालत में जगमेल को गली में फेंक दिए, यहां से उसको लहरागागा के हस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टर ने भर्ती करने की जगह थोड़ी बहुत दवाई देखकर भेज दिया। और पुलिस ने भी कोई मामला दर्ज नहीं किया। इसके उपरांत बेहोश होने पर उसको संगरूर के अस्पताल ले जाया गया फिर आगे राजेंद्रा अस्पताल पटियाला और फिर पीजीआई यहां डाक्टरों के सब प्रयत्नों के बावजूद पूरे शरीर में जहर फैलने पर उसकी मृत्यु हो गई।
 यह पूरी वारदात इतनी भयंकर थी कि जिसने भी सुना उसका अंदर तक झकझोरा गया। पीड़ित परिवार को न्याय न मिलने के कारण क्षेत्र के जनवादी जनसंगठनों ने जगमेल को न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया। इसमें नौजवान भारत सभा, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार), ज़मीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी, क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन, मजदूर मुक्ति मोर्चा, नौजवान भारत सभा पंजाब, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (रंधावा), पंजाब खेत मजदूर यूनियन और पंजाब रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन आदि शामिल हुईं। जाति पा ति क्रूरता की इस घटना के विरुद्ध लोगों में रोष था जिसके कारण इन जनसंगठनों के नेतृत्व में लहरागागा के एसडीएम दफ्तर के बाहर पूरा दिन धरना दिया गया और दोषियों के ऊपर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करने, पीड़ित परिवार को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग की गई। अगले दिन दस बजे तक का समय दिया गया।
 अगले दिन भी कोई सुनवाई न होने के उपरांत लहरागागा से सुनाम को जाती सड़क पर जाम लगाया गया। तीसरे दिन कांग्रेसी नेत्री रजिंद्र कौर बठ्ठल के निवास के आगे लगे बैरिकेड तोड़कर उसका घेराव किया गया। जिसके उपरांत सरकार लोगों के दबाव के आगे झुकती हुई बातचीत के लिए मजबूर हुई और मांगे मान ली गईं। इन मांगों में जगमेल की पत्नी को चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरी, बीस लाख रुपए की सहायता, बच्चों की मुफ्त पढ़ाई आदि शामिल हैं।
 लोगों के इस दबाव के कारण ही दोषी अब धारा 302 के अंतर्गत जेल में हैं। इसके साथ ही पुलिस की लापरवाही की एडीजीपी द्वारा जांच की जाएगी। यहां इस घटना ने लोगों को अपने अंदर पड़ी जाति पाति मानसिकता पर पुनः अन्तर्दृष्टि डालने, इससे पीछा छुड़वाने के लिए झकझोरा है। वहीं जनवादी जनसंगठनों ने लोगों के दबाव की बदौलत दोषियों को अंदर करवा बता दिया है कि ऐसा जाति पाति जुल्म बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकेगा। इस कानूनी कार्रवाई के साथ जगमेल को तो न्याय मिल जाएगा, पर लोगों के अंदर से जातिवादी मानसिकता अपने जन संगठनों के अन्तर्गत वर्गीय एकजुटता, तबकाती एकजुटता का मुकाम हासिल करने पर ही टूट सकती है।

No comments:

Post a Comment