Sunday, 10 November 2019

विद्यार्थी-नौजवान संगठनों ने मातृ भाषा कन्वेंशन सफलतापूर्वक की संपंन

बीती 10 नवम्बर को नौजवान भारत सभा और पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) की ओर से बठिंडा के टीचर्ज़ होम में मातृ भाषा कन्वेंशन की गयी जिस में पंजाब के अलग-अलग जिलों और हरयाणा के सिरसा जिले से सैंकड़ों नौजवानों ने भरवीं शमूलियत करके प्रोग्राम को सफ़ल बनाया | कन्वेंशन में हाज़िर लोगों ने भाषाई दाबे के ख़िलाफ़ बोलते हुए मातृ भाषाओं के हक़ में आवाज़ बुलंद की | कन्वेंशन में मुख्या बुलारों में प्रसिद्ध साहित्यकार और 'पंजाबी भाषा पसार भाईचारा' में सरगर्म मित्र सेन मीत और महिंदर सेखों, नौजवान भारत सभा के आगू छिंदरपाल, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) के कन्वीनर गुरप्रीत सिंह, टैक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन के नुमाइंदे राजविंदर और समाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता डॉक्टर जगजीत चीमा ने संबोधन किया | मंच संचालन की जिम्मेदारी मानव ने निभाई |

तकरीर शुरू करते हुए नौभास के आगू छिंदरपाल ने भाषा को वर्गीय लड़ाई का अंग बताते हुए कहा कि भाषा लोगों की विरासत और जुझारू रिवायतों की वाहक होती है और हकीमों की हमेशा यही कोशिश रही है कि लोगों से उनकी भाषा छीनकर उन्हें अपने विरसे से तोड़ दिया जाए | वक्त ने आगे पंजाब के साथ भाषाई अन्याय की भी बात की कि किस तरह 1947 और 1966 की अन्यायपूर्ण बाँट ने पंजाबी भाषा का नुकसान किया | इस के बाद अपनी बात जारी रखते हुए साहित्यकार मित्रसेन मीत ने पंजाब सरकार की ओर सरकारी तौर पर पंजाबी भाषा की अनदेखी किये जाने की चर्चा की और कहा कि इतने सालों के बाद भी पंजाब राज भाषा ऐक्ट 1967 को लागू नहीं किया गया | उन्होंने पंजाबी को रोज़गार की भाषा बनाने की वकालत की और अपनी संस्था 'पंजाबी भाषा पसार भाईचारा' की ओर से किये जा रहे प्रयासों से लोगों को वाकिफ कराया | इस के बाद राजनितिक कार्यकर्ता जगजीत चीमा ने बात करते हुए कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार पूरे देश में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नीति को लागू कर रही है जिसके तहत लोगों की राष्ट्रिय भाषाओं को दरड़ कर हिंदी को पूरे देश की राष्ट्रिय भाषा थोपने की कोशिश की जा रही है जिस का आज हर संभव विरोध किया जाना चाहिए |

आखरी वक्ता विद्यार्थी आगू गुरप्रीत ने बात रखी और इस मुहिम को विद्यार्थियों तक लेकर जाने के अपने तजुर्बों को साँझा किया | गुरप्रीत ने कहा कि पंजाबी यूनिवर्सिटी जो कि पंजाबी भाषा के प्रसार के लिए बनाई गयी थी वह भी अपना बनता कार्य नहीं कर रही, यहाँ तक कि पाठ्यक्रम में लगी किताबों को भी अभी तक पंजाबी में उपलब्ध नहीं कराया गया | गुरप्रीत ने कहा कि आने वाले समय में वह इस मांग को आगे बढ़ाएंगे कि नौकरियों के लिए ली जाने वाली मुकाबला परीक्षाओं को पंजाबी में भी लिया जाए क्योंकि दक्षिण भारत में भी यह सुविधा लागू है जहाँ विद्यार्थी अपनी-अपनी मातृ भाषा में यह इम्तिहान देते हैं | इन वक्ताओं के इलावा महिंदर सिंह सेखों और मज़दूर आगू राजविंदर ने भी अपने विचार रखे | समूह िलोगों ने वक्ताओं के इस विचार के साथ सहमति प्रगट की कि तीन हफ़्ते तक चली इस मुहिम को अगले पड़ाव में ले जाना चाहिए और आने वाले समय में सरकारी स्तर पर पंजाबी को लागू करवाने के लिए और इसे रोज़गार की भाषा बनाने के लिए संघर्ष करने की अहम जरूरत है | कन्वेंशन के आखिर में प्रस्ताव डाले गए जिन में मोदी सरकार द्वारा मातृ भाषाओं को दबाए जाने की नीति के विरोध में प्रस्ताव, हिंदी को राष्ट्रिय भाषा के तौर पर थोपे जाने की भत्स्रना और सारी जन भाषाओं को राष्ट्रिय भाषाओं का दर्जा देने की मांग का प्रस्ताव, राजस्थानी को राष्ट्रिय भाषा का दर्जा दिलवाने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों की हिमायत में प्रस्ताव व् जन आगू मनजीत धनेर की अन्यायपूर्ण सज़ा के खिलाफ व् बरनाला जेल के आगे उनकी रिहाई के लिए चल रहे धरने की हिमायत में प्रस्ताव पास किया गया | प्रोग्राम का अंत हाज़र लोगों ने बठिंडा शहर में मार्च निकालते हुए 'मातृ भाषा ज़िंदाबाद', 'हिंदी अंग्रेजी थोपना बंद करो' के नारे लगाकर किया |

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