Tuesday, 21 January 2020

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मलेरकोटला(पंजाब) में राज्यस्तरीय रोष प्रदर्शन 16 फ़रवरी को!

नागरिकता संशोधन कानून, जनसंख्या व नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ पंजाब के जनसंगठनों का ऐलान

पंजाब भर में सघन मुहिम चलाकर 16 फरवरी को मलेरकोटला में किया जाएगा राज्‍य स्तरीय विशाल रोष-प्रदर्शन

पंजाब के जनसंगठनों द्वारा सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. के खिलाफ और विद्यार्थियों तथा जनता पर किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ 16 जनवरी को मलेरकोटला में राज्य स्तर पर विशाल जन-रैली और मार्च किया जाएगा। किसान, खेत-मज़दूर, नौजवान-विद्यार्थी और औद्योगिक मज़दूरों के इन संगठनों ने सयुंक्त रूप में मीटिंग करके एलान किया कि देशभर की जनता के रोष-आंदोलनों के साथ आवाज़ मिलाते हुए वे पंजाब के लोगों को भाजपा की केन्द्रीय हुकूमत के हमले के खिलाफ संगठित करेंगे और इसे रोकने के लिए ज़ोरदार संघर्ष करेंगे।

बरनाला के तर्कशील भवन में 20 जनवरी को हुई इस सयुंक्त मीटिंग के बारे में जानकारी देते हुए जोगिंदर सिंह उगराँहा, बूटा सिंह बुर्ज गिल और राजविन्दर ने बताया कि संगठनों के नेताओं ने एकमत होते हुए कहा कि भाजपा हुकूमत द्वारा लाया गया नया नागरिकता संशोधन कानून धर्म निरपेक्षता और जनवादी परंपराओं पर तीखा हमला है क्योंकि यह नागरिकता के अधिकार को धर्म से जोड़ता है और विशेष रूप में मुसलमान धार्मिक संप्रदाय को निशाना बनाता है। नागरिकता कानून राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को देशभर में लागू करने के फैसले के साथ जुड़कर ऐसा खतरनाक हथियार बनता है जो भाजपा की सांप्रदायिक राष्ट्रवाद की सांप्रदायिकता की धार को और तीखा करता है। देश के मुसलमान धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर देश में हिन्दू सांप्रदायिकता के तहत ध्रुवीकरण का ज़रिया बनाने का साधन है। ये लोगों में सांप्रदायिक दीवार खड़ी करने का हथियार है। यह कानून लोगों की नागरिकता तय करने के मामले में सरकारों को ऐसे मनचाहे अधिकार देता है जिसे सरकारें लोगों को दबाने, सांप्रदायिक दीवार खड़ी करने और वोटों की खातिर इस्तेमाल करेंगी और पहले से ही लोगों की जासूसी करने के कदम उठा रही सरकारों को और अख्तियार देना है।

उन्होंने ने कहा कि आह्वान करने वाले संगठनों में भारतीय किसान यूनियन (ऐकता उगराँहा), भारतीय किसान यूनियन (ड़कौंदा), किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन, नौजवान भारत सभा, नौजवान भारत सभा (ललकार), कारखाना मज़दूर यूनियन, टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन, पी.एस.यू. (ललकार), टी.एस.यू., पी.एस.यू. (शहीद रँधावा) और मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन शामिल थे।

संगठनों ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून रद्द करने, एन.आर.सी. और एन.पी.आर. के फैसले वापस लेने, इसका विरोध कर रहे लोगों पर डाले गए झूठे केस रद्द करने, हिरासत में लिए लोगों को रिहा करने, जे.एन.यू. और जामिया समेत देशभर में जनता पर अत्याचार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने, जेएनयू में नकाब पहनकर आई संघी गुंडियों को हिरासत में लेने, दिल्ली में लागू किए एन.एस.ए. समेत सारे काले कानून रद्द करने की माँगों को लेकर 16 फरवरी को मलेरकोटला में ज़ोरदार ढँग से रोष-प्रर्दशन करेंगे। मीटिंग में उपस्थित संगठनों ने सभी जनवादी और इंसाफपंसद लोगों को इस रैली का हिस्सा बनने और संघर्ष का अंग बनने की अपील की।

नेताओं ने कहा कि असम की विशेष समस्या से निकले राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को देशभर में लागू करने के कदम भाजपा द्वारा लोगों का ध्रुवीकरण करने की सांप्रदायक-फासीवादी ज़रूरतों में से उपजे हैं जबकि उत्तर-पूर्व के राज्यों को छोड़कर बाकी बचते देश में शरणार्थियों की समस्या का कोई ऐसा आकार-प्रसार नहीं है कि जिसके लिए नागरिकों की पहचान की ऐसी प्रक्रिया चलाने की ज़रूरत हो। नागरिकता के मुद्दे को लेकर उठाए जा रहे ये कदम गैर-जनवाद और गैर-संवैधानिक हैं और सभी लोगों को इसका विरोध करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा अपनी लुटेरे पूँजीपतियों और कारपोरेट पक्षीय नीतियों से देश का ध्यान हटाने और बेरोज़गारी, महँगाई, गरीबी की चक्की में पिस रही जनता का ध्यान असल मुद्दों से हटाने के लिए विदेशी घुसपैठियों का मुद्दा उभारा जा रहा है। यह सारी कसरत देश की सभी समस्याओं को शरणार्थियों की वजह से पैदा हुई समस्याएँ दिखाने की कोशिश है और इस आड़ में लोगों पर निजीकरण और व्यापारीकरण की नीतियों का हमला और तेज़ करने के लिए की जी रही है। सरकारी संस्थाओं को बेचने, श्रम-कानूनों को और ज्यादा मज़दूर विरोधी बनाने, आदिवासी और किसानों से जंगल-ज़मीन छीनने और दलितों को ज़मीन से वंचित रखकर ज़ुल्म और तीखा करने के कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने दोष लगाया कि भाजपा हुकूमत के इन कदमों के खिलाफ संघर्ष में डटे लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए एक तरफ प्रधानमंत्री द्वारा एन.आर.सी. लागू करने के बारे में सरेआम झूठ बोले जा रहे हैं और दूसरी और एन.पी.आर. के ज़रिए एन.आर.सी. के लिए आँकड़े इकट्ठे करने की प्रक्रिया को शुरू किया जा रहा है।

संगठनों ने एक आवाज़ होकर कहा कि देश के श्रमिकों विशेषकर विश्वविद्यालयों-कॉलेजों के विद्यार्थियों और बुद्धि‍जीवियों और जनवादी दायरों की आवाज़ को दबाने के लिए किए जा रहे ज़ुल्म को किसी भी कीमत पर बर्दाशत नहीं किया जाएगा। और रोष व्यक्त करने और संघर्ष करने के जनवादी अधिकार को हर हाल में बहाल किया जाएगा। जेएनयू और जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस और संघ के गुण्डा-गिरोहों द्वारा सरेआम किए गए ज़ुल्म ने भाजपा के अत्याचारी और फासिस्ट मनसूबों को और ज्यादा नंगा किया है। भाजपा हुकूमत द्वारा बोले गए इस हमले के खिलाफ डटे लोगों द्वारा देशभर में सांप्रदायक एकता का किया जा रहा प्रदर्शन विशेषकर प्रशंसनीय है और भाजपा की फूट डालने वाली नीतियों का मात देने योग्य है। विश्वविद्यालयो  के विद्यार्थियों और विशेषकर मुसलमान धार्मिक संप्रदाय की औरतों की एकता और विरोध की भावना केंद्रीय शासकों के गले की हड्डी बन गई है और देशभर में विरोध के केंद्र के रूप में उभरीं ये औरतें देश की जनता के लिए संघर्ष करने की प्ररेणा बन रही हैं। लोगों के अंदर उबल रहा गुस्सा जगह-जगह बन रहे शाहीन बाग की शक्ल में फूटा है। केंद्रीय हुकूमत जनता की आवाज़ सुनने की बजाए ज़ुल्म करने पर उतारू है और इस संप्रदायि‍क कानून को लागू करवाने के लिए एन.एस.ए. जैसे काले कानून थोप रही है और लोगों की आवाज़ को झूठे केसों और कत्लों से कुचल रही है। देशभर में  दर्जन से ऊपर लोग पुलिस की गोलियों का शिकार हुए हैं।

मीटिंग में झंडासिंह जेठूके, बूटा सिंह बुर्ज गिल, राजविन्दर सिंह, कंवलप्रीत सिंह पन्नू, लक्ष्‍मण सिंह सेवेवाल, लखविन्दर सिंह, हरजिन्दर सिंह, इकबाल सिंह, अशवनी कुमार गुद्दा, छिंदरपाल सिंह, होशियार सिंह, गुरप्रीत सिंह, मनजीत सिंह धनेर शामिल थे।

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