Friday, 24 January 2020

'नागरिकता संशोधन क़ानून’, जनसंख्या व नागरिकता रजिस्टर का विरोध करो!

लोक एकता जि़ंदाबाद!                                           सांप्रदायिक फासीवाद मुर्दाबाद!

'नागरिकता संशोधन क़ानून’, जनसंख्या व नागरिकता रजिस्टर का विरोध करो!

घोर जनविरोधी सांप्रदायिक फासीवादी साजि़शों के खि़लाफ़ सड़कों पर उतरो!

'नागरिकता संशोधन क़ानून’ (सीएए), 'राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ (एनपीआर) व 'राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर’ (एनआरसी) के खि़लाफ़ देश-भर में आक्रोश है। हम मोदी सरकार द्वारा नागरिकता अधिकारों समेत तमाम जनवादी अधिकारों पर सांप्रदायिक फासीवादी हमले के सख़्त खिलाफ़ हैं और इसके विरुद्ध ज़ोरदार संघर्ष का ऐलान करते हैं और देश-भर में उठ रही जुझारू जनवादी आवाज़ों, संघर्षों को सलाम पेश करते हैं। 

भारत को 'हिंदू राष्ट्र’ बनाने की घोर जनविरोधी नीति का विरोध करो

नागरिकता कानून व रजिस्टर भाजपा द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भारत को 'हिंदू राष्ट्र’ बनाने के घोर जनविरोधी सांप्रदायिक फासीवादी सपने को पूरा करने की तरफ कदम हैं जिसमें सिर्फ हिंदुओं को रहने का हक़ होगा और बाक़ी धार्मिक अल्पसंख्यकों को या तो देश छोडऩा पड़ेगा या फिर दोयम दर्जे का नागरिक बनकर रहना होगा। कहने की ज़रूरत नहीं कि धर्म के आधार पर बने किसी भी देश में राज तो धन्नासेठ ही करते हैं, गऱीब मज़दूरों-मेहनतकशों को तो गुलामी ही करनी पड़ती है। इसी के तहत कश्मीर से धारा 370 हटाने, 'तीन तलाक’ ख़त्म करने और राम मंदिर बनाने जैसे फैसले लागू किए गए हैं। सरकार ने वीज़ा शर्तों में भी धर्म के आधार पर बदलाव किए हैं।

'हिंदू राष्ट्र’ बनाने की नीति भारत के लुटेरे धन्नासेठों के हितों की सेवा करती है, जनता का नुकसान करती है। इस दौर में देश आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ा है, बेरोजग़ारी बढ़ी है, महँगाई का तो यह हाल है कि अनेकों रसोइयों में से प्याज़ अभी तक ग़ायब है। ऊपर से नोटबंदी, जीएसटी और कारपोरेटों को करों में बड़ी छूट देने जैसे फ़ैसलों ने लोगों का जीना और भी कठिन किया है। मज़दूरों के वेतन बढ़ नहीं रहे। सारे अधिकार छीने जा रहे हैं। उद्योगों में मज़दूरों के हालात बद से बदतर हैं। तालाबंदियाँ हो रही हैं, मज़दूरों की छँटनी हो रही है। करोड़ों नौकरियाँ खत्म हो गई हैं। बेरोज़गारों को काम मिल नहीं रहा। सरकार श्रम कानूनों में बदलाव करके मज़दूरों के रहे सहे कानूनी श्रम अधिकार भी छीन रही है। दलितों, स्त्रियों, आदिवासियों, दमित राष्ट्रीयताओं का शोषण-दमन लगातार बढ़ रहा है। इन हालातों के खिलाफ जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा। सरकार जनसंघर्षों से बुरी तरह डरी हुई है। इसलिए काले कानूनों, जेल, लाठी, गोली से, बर्बर दमन से जनता की आवाज़ कुचलने की कोशिश हो रही है। साथ ही धर्म के आधार पर बाँटकर हुक्मरानों की जनविरोधी नीतियों के खि़लाफ जनता की वर्गीय एकता और संघर्ष को कमजोर करने की साजि़श रची गई है। मोदी-शाह सरकार के नागरिकता कानून व रजिस्टर सरकार की इसी सांप्रदायिक नीति का हिस्सा है। 'हिंदू राष्ट्र’ की पूरी योजना मज़दूरों, मेहनतकशों, दलितों, आदिवासियों, स्त्रियों, असवर्णों, दमित राष्ट्रीयताओं, लोक भाषाओं को लूटने-दबाने-कुचलने की योजना है। इसके खि़लाफ जनता को एकजुट होकर मोदी-शाह हुकूमत को मुँह तोड़ जवाब देना होगा।  
नागरिकता कानून व रजिस्टर के लागू होने से क्या-क्या होगा?

'राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर’ (एनआरसी) का पहला प्रयोग असम में हुआ। 19 लाख नागरिकों को दस्तावेज़ों में ग़लतियांँ निकालकर विदेशी करार दे दिया गया। इनमें से 14 लाख हिंदू थे। अब 'नागरिकता संशोधन क़ानून’ (सीएए) लाया गया है जिसके तहत अफग़ानिस्तान, बंगलादेश और पाकिस्तान से आए हिंदुओं, सिक्खों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और इसाइयों को नागरिकता दी जाएगी, लेकिन मुसलमानों को नहीं। अब मोदी सरकार द्वारा लाया गया 'राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर’ (एनपीआर) और कुछ नहीं बल्कि पूरे भारत में 'राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर’ लागू करने का ही पहला चरण है। इस प्रक्रिया के तहत नागरिकता साबित करने के लिए भारत में रहने वाले तमाम लोगों को नागरिकता के सबूत देने होंगे। करोड़ों लोगों को लाइनों में लगा दिया जाएगा। भारत में करोड़ों की संख्या में गरीब, अनपढ़, बाढ़-दंगों-कत्लेआमों के कारण उजाड़े का शिकार, बेघर व अन्य लोग हैं जिनके पास भारत का नागरिक होने के बावजूद भी पूरे दस्तावेज़ नहीं हैं या बुरी हालत में हैं, या उनमें नामों-पतों आदि की गलतियाँ हैं। ऐसे लोग भी हैं जो बंगलादेश जैसे देशों से दंगों-कत्लेआमों-आपदाओं आदि के चलते उजड़कर आए हैं जो बेहद गऱीब हैं, तबाही-बरबादी का शिकार हैं। ऐसे लोग भारत में दशकों से रह रहे हैं व भारत के नागरिक हैं। इन तमाम लोगों को दस्तावेज़ जुटाने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ेंगी। अफसरशाही-नौकरशाही को घूस चढ़ानी पड़ेगी। बड़े स्तर पर परेशानी झेलनी पड़ेगी। असम में यही सब हुआ है। यह सब हर नागरिक के साथ होने जा रहा है। नोटबंदी से भी भयानक हालत बनने जा रहे हैं। नागरिकता न साबित कर पाए गैर-मुस्लिमों को (हिंदुओं को भी) यह साबित करना होगा कि वे छह वर्ष से पाकिस्तान, बंगलादेश या अफगानिस्तान से आकर भारत में रह रहे हैं। जो मुस्लिम और गैर-मुस्लिम लोग उपरोक्त शर्तें पूरी नहीं कर पाएँगे उन्हें विदेशी कहकर बंदी केंद्रों में ठूँसा जाएगा। गैर-मुस्लिमों में खासकर ईसाइयों, सिक्खों, दलितों, गैर-सवर्णों, आदिवासियों पर भारी मुसीबतों का पहाड़ टूटने वाला है। राज्य सत्ता की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वालों को भी जानबूझकर नागरिकता सूची से बाहर किया जाएगा।

अकेले असम में नागरिकता रजिस्टर पर 1800 करोड़ का खर्चा हुआ है। पूरे देश में इसे लागू करने के लिए दर्जनों गुणा खर्च आएगा जिसका बोझ टेक्स बढ़ाकर, सरकारी सुविधाएँ छीनकर जनता पर ही डाला जाएगा।
जनता संघर्षों की और सत्ता दमन की राह पर

दिसंबर से सरकार की नागरिकता नीति के खिलाफ जनता सड़कों पर हैं। दिल्ली का शाहीन बाग इस नागरिकता नीति के खिलाफ पक्का मोर्चा बना चुका है। देश में जगह-जगह शाहीन बाग जैसे पक्के मोर्चे शुरू हो रहे हैं। रैलियों में लाखों-लाख लोग शामिल हो रहे हैं, फासीवादी-दमनकारी मोदी-शाह हुकूमत को ललकार रहे हैं। 

जनता के सड़कों पर उतरने के बाद करोड़ों की मैंबरशिप वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 'नागरिकता संशोधन कानून’ के हक में रैलियाँ शुरू की थीं जो कि असफल ही साबित हुई हैं। यह सब इस बात का संकेत है कि जनता ने समझना शुरू कर दिया है कि रोज़ी-रोटी, रोजग़ार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं, सांप्रदायिक भाईचारा कायम रखने के लिए, सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ संघर्ष व अन्य मुद्दे जनता के वास्तविक मुद्दे हैं। बेशक इस सांप्रदायिक फासीवादी राजनीति के चंगुल में फँसी एक बड़ी आबादी भी मौजूद है जिसे जितना जल्द हो सही राह पर लाना होगा।

मोदी हुकूमत जनसंघर्ष के दमन की राह पर है। पुलिस दमन में कितने ही लोग मारे जा चुके हैं, गंभीर रूप से जख्मी हैं, हज़ारों गिरफ़्तार हैं, गायब कर दिए गए हैं। पुलिस, भाजपा-संघ के कार्यकर्ता खुद इमारतों, वाहनों की तोड़-फोड़-आगजनी करके लोगों को बदनाम कर रहे हैं। दिल्ली में अब रासुका नामक काला कानून थोप दिया गया है यानी अब पूरी तरह बेशर्म होकर मोदी सरकार हिटलर राज थोप रही है। 

सरकार की नागरिकता नीति के खिलाफ पंजाब के मज़दूरों, किसानों, नौजवानों, छात्रों केे बारह संगठनों - नौजवान भारत सभा (ललकार), टेक्सटाईल हौज़री कामगार यूनियन, कारखाना मज़दूर यूनियन, पी.एस.यू. (ललकार), भाकियू (उगराहां), भाकियू (डकौंदा), पंजाब खेत मज़दूर यूनियन, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज यूनियन, नौजवान भारत सभा, पी.एस.यू. (शहीद रंधावा), टी.एस.यू., किसान संघर्ष कमेटी ने पंजाब स्तरीय संयुक्त अभियान चलाने का ऐलान किया है और माँग की है कि नागरिकता संशोधन कानून, जनसंख्या व नागरिकता रजिस्टर रद्द हो, बंदी केंद्र बंद हों, संघर्षशील जनता का दमन बंद हो, दिल्ली से काला कानून रासुका हटाया जाए, गिरफ़्तार लोगों को रिहा किया जाए, विश्वविद्यालयों में छात्रों पर हमले के दोषियों पर सख़्त से सख़्त कार्रवाई हो। पंजाब में सघन प्रचार अभियान, जगह-जगह सम्मेलनों, रोष प्रदर्शनों आदि के बाद पंजाब स्तरीय विशाल रोष प्रदर्शन होगा। सभी जनवादी, इंसाफपसंद लोगों से अपील है कि हक, सच, इंसाफ के लिए इस संघर्ष में ज़ोरदार भागीदारी करें।

16 फरवरी को मलेरकोटला में 11 बजे पंजाब स्तरीय विशाल रोष प्रदर्शन में पहुँचो!

जारीकर्ता-

नौजवान भारत सभा, 
कारखाना मज़दूर यूनियन, 
टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन, 
पी.एस.यू. (ललकार) 
प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स यूनियन (हरियाणा ईकाई)

प्रकाशक - छिंदरपाल (98884-01288), राजविंदर (98886-55663), गुरप्रीत (98887-89421), पावेल (86078-89902)

सिरसा के नौजवानों का नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मलेरकोटला रैली में शामिल होने का ऐलान!

नौजवान भारत सभा, सिरसा जिला कमेटी द्वारा जनसंगठनों के संयुक्त आह्वान के अंतर्गत जिले में नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध अभियान छेड़ने का ऐलान!

16 फ़रवरी को मलेरकोटला रैली में बड़े जत्थे समेत की जाएगी भागीदारी!!

नौजवान भारत सभा की सहभागिता वाले 12 जनसंगठनों के साझा मंच द्वारा भाजपा सरकार द्वारा नागरिकता संबंधी हाल ही में पास किए गए सांप्रदायिक कानूनों के विरुद्ध गतिविधि के आह्वान के अंतर्गत नौजवान भारत सभा, जिला कमेटी सिरसा द्वारा सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. तथा छात्रों व विरोध कर रहे लोगों पर किए जा रहे दमन के विरुद्ध जिलेभर में अभियान छेड़ने का ऐलान किया।
आज गदरी बाबा सोहन सिंह भकना यादगारी हाल, संतनगर में नौजवान भारत सभा, जिला कमेटी सिरसा की विस्तारित बैठक करके ऐलान किया गया कि सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. के विरोध में उठे जनरोष के साथ आवाज़ मिलाते हुए जिला सिरसा में विरोध अभियान छेड़कर केंद्रीय भाजपा शासन के इस हमले के विरुद्ध लामबंद किया जाएगा।
इस मीटिंग के बारे ने जानकारी देते हुए नौजवान भारत सभा, जिला सिरसा के नेता अमन ने बताया कि भाजपा शासन के द्वारा लाया गया नया नागरिकता संशोधन कानून पूरी तरह से सांप्रदायिक और गैर जनवादी है, क्योंकि यह नागरिकता के अधिकार को धर्म के साथ जोड़ता है और विशेष तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाता है। नागरिकता कानून राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को देशभर में लागू करने के निर्णय के साथ जुड़कर एक ऐसा खतरनाक हथियार बनता है जो भाजपा के सांप्रदायिक फासीवाद की सांप्रदायिक धार को और तेज़ करता है।
आगे उन्होंने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून रद्द करने, एन.आर.सी. और एन.पी.आर. के कदम वापिस लेने, इसका विरोध कर रहे लोगों पर डाले गए झूठे केस रद्द करने, गिरफ्तार किए लोगों को रिहा करने, जेएनयू और जामिया समेत देशभर में लोगों पर दमन करने  वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और केस दर्ज करने जेएनयू में नकाब डाल कर आए संघी गुंडों को गिरफ्तार करने और देश में गिरफ्तार किए गए बुद्धिजीवियों को रिहा करने, नजरबंदी कैंपों को खत्म करने और वहां बंद किए लोगों को रिहा करने, दिल्ली में थोपे गए एनएसए में समेत सभी काले कानून रद्द करने की मांगों को लेकर नौजवान भारत सभा, सिरसा द्वारा आने वाले दिनों के दौरान जिलेभर में अभियान छेड़कर लोगों को लामबंद किया जाएगा। नौजवान भारत सभा सभी जनवादी और इंसाफपसंद लोगों को इस अभियान का हिस्सा बनने और इस संघर्ष का अंग बनने की अपील करती है।
नौजवान भारत सभा के जिला नेता पावेल ने बताया कि नागरिकता के मुद्दे पर लिए जा रहे यह कदम गैर जनवादी, सांप्रदायिक हैं और अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हैं। तथा सभी लोगों का विरोध करना लाज़िम है। नौजवान भारत सभा, सिरसा द्वारा भी इसके विरोध में लोगों को लामबंद करने के लिए जन संगठनों के साझा मंच द्वारा जारी पर्चा, पोस्टर बांटा जाएगा। जनसभाओं के साथ साथ विचार गोष्ठियों, मशाल मार्च, मोटरसाइकिल मार्च, जागो, प्रभात फेरियों और फिल्म शो आदि के माध्यम से इन कानूनों के विरुद्ध लामबंदी की जाएगी और 16 फरवरी को बड़े जत्थे के साथ मलेरकोटला रैली में भागीदारी की जाएगी।

ਸਰਸੇ ਤੋਂ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਸੋਧ ਕਨੂੰਨ ਵਿਰੋਧੀ ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ ਰੈਲੀ ਵਿੱਚ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਨੌਜਵਾਨ ਹੋਣਗੇ ਸ਼ਾਮਲ!

ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ, ਸਰਸਾ ਜਿਲ੍ਹਾ ਕਮੇਟੀ ਵੱਲੋਂ ਜਨਤਕ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਦੇ ਸਾਂਝੇ ਸੱਦੇ ਹੇਠ ਜਿਲ੍ਹੇ ਵਿੱਚ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਸੋਧ ਕਾਨੂੰਨ ਖਿਲਾਫ਼ ਮੁਹਿੰਮ ਵਿੱਢਣ ਦਾ ਐਲਾਨ!

16 ਫਰਵਰੀ ਨੂੰ ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ ਰੈਲੀ ਵਿੱਚ ਵੱਡੇ ਇਕੱਠ ਸਮੇਤ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇਗੀ ਸ਼ਮੂਲੀਅਤ!

ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ ਦੀ ਸ਼ਮੂਲੀਅਤ ਵਾਲੇ 12 ਜਨਤਕ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਦੇ ਸਾਂਝੇ ਥੜ੍ਹੇ ਵੱਲੋਂ ਭਾਜਪਾ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਸਬੰਧੀ ਸੱਜਰੇ ਪਾਸ ਕੀਤੇ ਫਿਰਕੂ ਕਨੂੰਨਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਸਰਗਰਮੀ ਦੇ ਸੱਦੇ ਹੇਠ ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ, ਜਿਲ੍ਹਾ ਕਮੇਟੀ ਸਰਸਾ ਵੱਲੋਂ ਸੀ.ਏ.ਏ., ਐਨ.ਆਰ.ਸੀ. ਤੇ ਐਨ.ਪੀ.ਆਰ. ਅਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਵਿਰੋਧ ਕਰ ਰਹੇ ਲੋਕਾਂ 'ਤੇ ਢਾਹੇ ਜਾ ਰਹੇ ਜਬਰ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਜਿਲ੍ਹੇਭਰ ਵਿੱਚ ਮੁਹਿੰਮ ਵਿੱਢਣ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ। ਅੱਜ ਗ਼ਦਰੀ ਬਾਬਾ ਸੋਹਣ ਸਿੰਘ ਭਕਨਾ ਯਾਦਗਾਰੀ ਹਾਲ, ਸੰਤਨਗਰ ਵਿਖੇ ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ, ਜਿਲ੍ਹਾ ਕਮੇਟੀ ਸਰਸਾ ਦੀ ਵਧਵੀਂ ਮੀਟਿੰਗ ਕਰਕੇ ਇਹ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਕਿ ਸੀ.ਏ.ਏ., ਐੱਨ.ਆਰ.ਸੀ., ਐੱਨ.ਪੀ.ਆਰ. ਦੇ ਵਿਰੋਧ ਵਿੱਚ ਉੱਠੇ ਲੋਕਰੋਹ ਦੇ ਨਾਲ ਅਵਾਜ਼ ਮਿਲਾਉਂਦਿਆਂ ਜਿਲ੍ਹਾ ਸਰਸਾ ਵਿੱਚ ਵਿਰੋਧ ਮੁਹਿੰਮ ਵਿੱਢਕੇ ਕੇਂਦਰੀ ਭਾਜਪਾ ਹਕੂਮਤ ਦੇ ਇਸ ਹਮਲੇ ਖਿਲਾਫ਼ ਲਾਮਬੰਦ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ।

ਇਸ ਮੀਟਿੰਗ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦਿਆਂ ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ, ਜਿਲ੍ਹਾ ਸਰਸਾ ਦੇ ਆਗੂ ਅਮਨ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਭਾਜਪਾ ਹਕੂਮਤ ਵੱਲੋਂ ਲਿਆਂਦਾ ਗਿਆ ਨਵਾਂ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਸੋਧ ਕਾਨੂੰਨ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫ਼ਿਰਕੂ ਤੇ ਗੈਰ ਜਮਹੂਰੀ ਹੈ। ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਨੂੰ ਧਰਮ ਨਾਲ ਜੋੜਦਾ ਹੈ ਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਧਾਰਮਿਕ ਫਿਰਕੇ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਕਾਨੂੰਨ ਕੌਮੀ ਨਾਗਰਿਕ ਰਜਿਸ਼ਟਰ ਨੂੰ ਮੁਲਕ ਭਰ ਵਿੱਚ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਦੇ ਫੈਸਲੇ ਨਾਲ ਜੁੜਕੇ ਅਜਿਹਾ ਮਾਰੂ ਹਥਿਆਰ ਬਣਦਾ ਹੈ ਜੋ ਭਾਜਪਾ ਦੇ ਫਿਰਕੂ ਫਾਸੀਵਾਦ ਦੀ ਫਿਰਕੂ ਧਾਰ ਨੂੰ ਹੋਰ ਤਿੱਖਾ ਕਰਦਾ ਹੈ।

ਅੱਗੇ ਉਹਨਾਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਸੋਧ ਕਾਨੂੰਨ ਰੱਦ ਕਰਨ, ਐਨ.ਆਰ.ਸੀ. ਤੇ ਐਨ.ਪੀ.ਆਰ. ਦੇ ਕਦਮ ਵਾਪਸ ਲੈਣ, ਇਸਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰ ਰਹੇ ਲੋਕਾਂ 'ਤੇ ਪਾਏ ਝੂਠੇ ਕੇਸ ਰੱਦ ਕਰਨ, ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕੀਤੇ ਲੋਕ ਰਿਹਾਅ ਕਰਨ, ਜੇ.ਐਨ.ਯੂ. ਤੇ ਜਾਮੀਆ ਸਮੇਤ ਮੁਲਕ ਭਰ ਵਿੱਚ ਲੋਕਾਂ 'ਤੇ ਜਬਰ ਢਾਹੁਣ ਵਾਲੇ ਪੁਲਿਸ ਅਫਸਰਾਂ ਤੇ ਜ਼ਿੱਮੇਵਾਰਾਂ ਖਿਲਾਫ਼ ਸਖਤ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਤੇ ਕੇਸ ਦਰਜ ਕਰਨ, ਜੇ.ਐਨ.ਯੂ. ਵਿੱਚ ਨਕਾਬ ਪਾ ਕੇ ਆਏ ਸੰਘੀ ਗੁੰਡਿਆਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕਰਨ ਅਤੇ ਮੁਲਕ ਵਿੱਚ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕੀਤੇ ਹੋਏ ਬੁੱਧੀਜੀਵੀਆਂ ਨੂੰ ਰਿਹਾਅ ਕਰਨ, ਨਜ਼ਰਬੰਦੀ ਕੈਂਪ ਖਤਮ ਕਰਨ ਅਤੇ ਉੱਥੇ ਡੱਕੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਰਿਹਾਅ ਕਰਨ, ਦਿੱਲੀ ਵਿੱਚ ਮੜੇ ਐਨ.ਐਸ.ਏ ਸਮੇਤ ਸਾਰੇ ਕਾਲੇ ਕਾਨੂੰਨ ਰੱਦ ਕਰਨ ਦੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ, ਸਰਸਾ ਵੱਲੋਂ ਆਉਂਦੇ ਦਿਨਾਂ ਦੌਰਾਨ ਜਿਲ੍ਹੇਭਰ ਵਿੱਚ ਮੁਹਿੰਮ ਵਿੱਢ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਲਾਮਬੰਦ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ। ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ ਸਭਨਾਂ ਜਮਹੂਰੀਅਤ ਤੇ ਇਨਸਾਫਪਸੰਦ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਮੁਹਿੰਮ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣਨ ਤੇ ਇਸ ਸੰਘਰਸ਼ ਦਾ ਅੰਗ ਬਣਨ ਦੀ ਅਪੀਲ ਵੀ ਕਰਦੀ ਹੈ।

ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ ਦੇ ਜਿਲ੍ਹਾ ਆਗੂ ਪਾਵੇਲ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਦੇ ਮਸਲੇ ਤੇ ਲਏ ਜਾ ਰਹੇ ਇਹ ਕਦਮ ਗੈਰ ਜਮਹੂਰੀ, ਫ਼ਿਰਕੂ ਹਨ ਤੇ ਘੱਟਗਿਣਤੀਆਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਸੇਧਿਤ ਹਨ ਅਤੇ ਸਭਨਾਂ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਵਿਰੋਧ ਦੇ ਹੱਕਦਾਰ ਹਨ। ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ, ਸਰਸਾ ਵੱਲੋਂ ਵੀ ਇਸਦੇ ਵਿਰੋਧ ਵਿੱਚ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਲਾਮਬੰਦ ਕਰਨ ਲਈ ਜਨਤਕ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਦੇ ਸਾਂਝੇ ਥੜ੍ਹੇ ਵੱਲੋਂ ਜਾਰੀ ਪਰਚਾ, ਪੋਸਟਰ ਵੰਡਿਆ ਜਾਵੇਗਾ। ਜਨਤਕ ਮੀਟਿੰਗਾਂ, ਵਿਚਾਰ ਗੋਸ਼ਟੀਆਂ, ਮਸ਼ਾਲ ਮਾਰਚ, ਮੋਟਰਸਾਈਕਲ ਮਾਰਚ, ਜਾਗੋ, ਪ੍ਰਭਾਤ ਫੇਰੀਆਂ ਤੇ ਫ਼ਿਲਮ ਸ਼ੋਆਂ ਆਦਿ ਜਰੀਏ ਇਹਨਾਂ ਕਨੂੰਨਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਲਾਮਬੰਦੀ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇਗੀ ਅਤੇ 16 ਫਰਵਰੀ ਨੂੰ ਭਰਵੇਂ ਇਕੱਠ ਨਾਲ ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ ਰੈਲੀ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋਇਆ ਜਾਵੇਗਾ।

Tuesday, 21 January 2020

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मलेरकोटला(पंजाब) में राज्यस्तरीय रोष प्रदर्शन 16 फ़रवरी को!

नागरिकता संशोधन कानून, जनसंख्या व नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ पंजाब के जनसंगठनों का ऐलान

पंजाब भर में सघन मुहिम चलाकर 16 फरवरी को मलेरकोटला में किया जाएगा राज्‍य स्तरीय विशाल रोष-प्रदर्शन

पंजाब के जनसंगठनों द्वारा सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. के खिलाफ और विद्यार्थियों तथा जनता पर किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ 16 जनवरी को मलेरकोटला में राज्य स्तर पर विशाल जन-रैली और मार्च किया जाएगा। किसान, खेत-मज़दूर, नौजवान-विद्यार्थी और औद्योगिक मज़दूरों के इन संगठनों ने सयुंक्त रूप में मीटिंग करके एलान किया कि देशभर की जनता के रोष-आंदोलनों के साथ आवाज़ मिलाते हुए वे पंजाब के लोगों को भाजपा की केन्द्रीय हुकूमत के हमले के खिलाफ संगठित करेंगे और इसे रोकने के लिए ज़ोरदार संघर्ष करेंगे।

बरनाला के तर्कशील भवन में 20 जनवरी को हुई इस सयुंक्त मीटिंग के बारे में जानकारी देते हुए जोगिंदर सिंह उगराँहा, बूटा सिंह बुर्ज गिल और राजविन्दर ने बताया कि संगठनों के नेताओं ने एकमत होते हुए कहा कि भाजपा हुकूमत द्वारा लाया गया नया नागरिकता संशोधन कानून धर्म निरपेक्षता और जनवादी परंपराओं पर तीखा हमला है क्योंकि यह नागरिकता के अधिकार को धर्म से जोड़ता है और विशेष रूप में मुसलमान धार्मिक संप्रदाय को निशाना बनाता है। नागरिकता कानून राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को देशभर में लागू करने के फैसले के साथ जुड़कर ऐसा खतरनाक हथियार बनता है जो भाजपा की सांप्रदायिक राष्ट्रवाद की सांप्रदायिकता की धार को और तीखा करता है। देश के मुसलमान धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर देश में हिन्दू सांप्रदायिकता के तहत ध्रुवीकरण का ज़रिया बनाने का साधन है। ये लोगों में सांप्रदायिक दीवार खड़ी करने का हथियार है। यह कानून लोगों की नागरिकता तय करने के मामले में सरकारों को ऐसे मनचाहे अधिकार देता है जिसे सरकारें लोगों को दबाने, सांप्रदायिक दीवार खड़ी करने और वोटों की खातिर इस्तेमाल करेंगी और पहले से ही लोगों की जासूसी करने के कदम उठा रही सरकारों को और अख्तियार देना है।

उन्होंने ने कहा कि आह्वान करने वाले संगठनों में भारतीय किसान यूनियन (ऐकता उगराँहा), भारतीय किसान यूनियन (ड़कौंदा), किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन, नौजवान भारत सभा, नौजवान भारत सभा (ललकार), कारखाना मज़दूर यूनियन, टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन, पी.एस.यू. (ललकार), टी.एस.यू., पी.एस.यू. (शहीद रँधावा) और मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन शामिल थे।

संगठनों ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून रद्द करने, एन.आर.सी. और एन.पी.आर. के फैसले वापस लेने, इसका विरोध कर रहे लोगों पर डाले गए झूठे केस रद्द करने, हिरासत में लिए लोगों को रिहा करने, जे.एन.यू. और जामिया समेत देशभर में जनता पर अत्याचार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने, जेएनयू में नकाब पहनकर आई संघी गुंडियों को हिरासत में लेने, दिल्ली में लागू किए एन.एस.ए. समेत सारे काले कानून रद्द करने की माँगों को लेकर 16 फरवरी को मलेरकोटला में ज़ोरदार ढँग से रोष-प्रर्दशन करेंगे। मीटिंग में उपस्थित संगठनों ने सभी जनवादी और इंसाफपंसद लोगों को इस रैली का हिस्सा बनने और संघर्ष का अंग बनने की अपील की।

नेताओं ने कहा कि असम की विशेष समस्या से निकले राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को देशभर में लागू करने के कदम भाजपा द्वारा लोगों का ध्रुवीकरण करने की सांप्रदायक-फासीवादी ज़रूरतों में से उपजे हैं जबकि उत्तर-पूर्व के राज्यों को छोड़कर बाकी बचते देश में शरणार्थियों की समस्या का कोई ऐसा आकार-प्रसार नहीं है कि जिसके लिए नागरिकों की पहचान की ऐसी प्रक्रिया चलाने की ज़रूरत हो। नागरिकता के मुद्दे को लेकर उठाए जा रहे ये कदम गैर-जनवाद और गैर-संवैधानिक हैं और सभी लोगों को इसका विरोध करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा अपनी लुटेरे पूँजीपतियों और कारपोरेट पक्षीय नीतियों से देश का ध्यान हटाने और बेरोज़गारी, महँगाई, गरीबी की चक्की में पिस रही जनता का ध्यान असल मुद्दों से हटाने के लिए विदेशी घुसपैठियों का मुद्दा उभारा जा रहा है। यह सारी कसरत देश की सभी समस्याओं को शरणार्थियों की वजह से पैदा हुई समस्याएँ दिखाने की कोशिश है और इस आड़ में लोगों पर निजीकरण और व्यापारीकरण की नीतियों का हमला और तेज़ करने के लिए की जी रही है। सरकारी संस्थाओं को बेचने, श्रम-कानूनों को और ज्यादा मज़दूर विरोधी बनाने, आदिवासी और किसानों से जंगल-ज़मीन छीनने और दलितों को ज़मीन से वंचित रखकर ज़ुल्म और तीखा करने के कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने दोष लगाया कि भाजपा हुकूमत के इन कदमों के खिलाफ संघर्ष में डटे लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए एक तरफ प्रधानमंत्री द्वारा एन.आर.सी. लागू करने के बारे में सरेआम झूठ बोले जा रहे हैं और दूसरी और एन.पी.आर. के ज़रिए एन.आर.सी. के लिए आँकड़े इकट्ठे करने की प्रक्रिया को शुरू किया जा रहा है।

संगठनों ने एक आवाज़ होकर कहा कि देश के श्रमिकों विशेषकर विश्वविद्यालयों-कॉलेजों के विद्यार्थियों और बुद्धि‍जीवियों और जनवादी दायरों की आवाज़ को दबाने के लिए किए जा रहे ज़ुल्म को किसी भी कीमत पर बर्दाशत नहीं किया जाएगा। और रोष व्यक्त करने और संघर्ष करने के जनवादी अधिकार को हर हाल में बहाल किया जाएगा। जेएनयू और जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस और संघ के गुण्डा-गिरोहों द्वारा सरेआम किए गए ज़ुल्म ने भाजपा के अत्याचारी और फासिस्ट मनसूबों को और ज्यादा नंगा किया है। भाजपा हुकूमत द्वारा बोले गए इस हमले के खिलाफ डटे लोगों द्वारा देशभर में सांप्रदायक एकता का किया जा रहा प्रदर्शन विशेषकर प्रशंसनीय है और भाजपा की फूट डालने वाली नीतियों का मात देने योग्य है। विश्वविद्यालयो  के विद्यार्थियों और विशेषकर मुसलमान धार्मिक संप्रदाय की औरतों की एकता और विरोध की भावना केंद्रीय शासकों के गले की हड्डी बन गई है और देशभर में विरोध के केंद्र के रूप में उभरीं ये औरतें देश की जनता के लिए संघर्ष करने की प्ररेणा बन रही हैं। लोगों के अंदर उबल रहा गुस्सा जगह-जगह बन रहे शाहीन बाग की शक्ल में फूटा है। केंद्रीय हुकूमत जनता की आवाज़ सुनने की बजाए ज़ुल्म करने पर उतारू है और इस संप्रदायि‍क कानून को लागू करवाने के लिए एन.एस.ए. जैसे काले कानून थोप रही है और लोगों की आवाज़ को झूठे केसों और कत्लों से कुचल रही है। देशभर में  दर्जन से ऊपर लोग पुलिस की गोलियों का शिकार हुए हैं।

मीटिंग में झंडासिंह जेठूके, बूटा सिंह बुर्ज गिल, राजविन्दर सिंह, कंवलप्रीत सिंह पन्नू, लक्ष्‍मण सिंह सेवेवाल, लखविन्दर सिंह, हरजिन्दर सिंह, इकबाल सिंह, अशवनी कुमार गुद्दा, छिंदरपाल सिंह, होशियार सिंह, गुरप्रीत सिंह, मनजीत सिंह धनेर शामिल थे।

Monday, 20 January 2020

ਜਨਤਕ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਵੱਲੋਂ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਸੋਧ ਕਾਨੂੰਨ ਖਿਲਾਫ਼ ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ 'ਚ ਸੂਬਾਈ ਰੋਸ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ 16 ਫਰਵਰੀ ਨੂੰ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ

ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਇੱਕ ਦਰਜਨ ਜਨਤਕ ਜਮਹੂਰੀ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਵੱਲੋਂ ਸੀ.ਏ.ਏ., ਐਨ.ਆਰ.ਸੀ. ਤੇ ਐਨ.ਪੀ.ਆਰ. ਖਿਲਾਫ਼ ਅਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਲੋਕਾਂ 'ਤੇ ਢਾਹੇ ਜਾ ਰਹੇ ਜਬਰ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ 16 ਫਰਵਰੀ ਨੂੰ ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ ਵਿਖੇ ਸੂਬਾ ਪੱਧਰੀ ਵਿਸ਼ਾਲ ਜਨਤਕ ਰੈਲੀ ਤੇ ਮਾਰਚ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ। ਕਿਸਾਨ, ਖੇਤ-ਮਜ਼ਦੂਰ, ਨੌਜਵਾਨ-ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਸਨਅਤੀ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਦੀਆਂ ਇਹਨਾਂ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਨੇ ਅੱਜ ਸਾਂਝੀ ਮੀਟਿੰਗ ਕਰਕੇ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਕਿ ਮੁਲਕ ਭਰ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਰੋਸ ਲਹਿਰ ਨਾਲ ਅਵਾਜ਼ ਮਿਲਾਉਂਦਿਆਂ ਉਹ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਕੇਂਦਰੀ ਭਾਜਪਾ ਹਕੂਮਤ ਦੇ ਇਸ ਹਮਲੇ ਖਿਲਾਫ਼ ਲਾਮਬੰਦ ਕਰਨਗੇ 'ਤੇ ਇਸਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਨਗੇ।
ਬਰਨਾਲਾ ਦੇ ਤਰਕਸ਼ੀਲ ਭਵਨ 'ਚ ਹੋਈ ਇਸ ਸਾਂਝੀ ਮੀਟਿੰਗ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦਿਆਂ ਜੋਗਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਉਗਰਾਹਾਂ, ਬੂਟਾ ਸਿੰਘ ਬੁਰਜ ਗਿੱਲ ਤੇ ਰਾਜਵਿੰਦਰ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਅੱਜ ਇਕੱਠੇ ਹੋਏ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਦੇ ਆਗੂਆਂ ਨੇ ਇੱਕ ਮੱਤ ਹੁੰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਭਾਜਪਾ ਹਕੂਮਤ ਵੱਲੋਂ ਲਿਆਂਦਾ ਗਿਆ ਨਵਾਂ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਸੋਧ ਕਾਨੂੰਨ ਧਰਮ ਨਿਰਪੱਖ ਤੇ ਜਮਹੂਰੀ ਕਦਰਾਂ ਕੀਮਤਾਂ 'ਤੇ ਤਿੱਖਾ ਹਮਲਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਨੂੰ ਧਰਮ ਨਾਲ ਜੋੜਦਾ ਹੈ ਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਧਾਰਮਿਕ ਫਿਰਕੇ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਕਾਨੂੰਨ ਕੌਮੀ ਨਾਗਰਿਕ ਰਜਿਸ਼ਟਰ ਨੂੰ ਮੁਲਕ ਭਰ 'ਚ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਦੇ ਫੈਸਲੇ ਨਾਲ ਜੁੜਕੇ ਅਜਿਹਾ ਮਾਰੂ ਹਥਿਆਰ ਬਣਦਾ ਹੈ ਜੋ ਭਾਜਪਾ ਦੇ ਫਿਰਕੂ ਕੌਮਵਾਦ ਦੀ ਫਿਰਕੂ ਧਾਰ ਨੂੰ ਹੋਰ ਤਿੱਖਾ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਮੁਲਕ ਦੀ ਮੁਸਲਮਾਨ ਧਾਰਮਿਕ ਘੱਟ ਗਿਣਤੀ ਨੂੰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਬਣਾ ਕੇ ਮੁਲਕ 'ਚ ਹਿੰਦੂ ਫਿਰਕੂ ਲਾਮਬੰਦੀਆ ਦਾ ਜ਼ਰੀਆ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਸਾਧਨ ਹੈ। ਇਹ ਲੋਕਾਂ 'ਚ ਫਿਰਕੂ ਪਾਟਕ ਖੜ੍ਹੇ ਕਰਨ ਦਾ ਹਥਿਆਰ ਹੈ। ਇਹ ਕਾਨੂੰਨ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਤੈਅ ਕਰਨ ਦੇ ਮਾਮਲੇ 'ਚ ਸਰਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਮਨਚਾਹੇ ਅਧਿਕਾਰ ਮਿਲਣ ਦੀ ਅਜਿਹੀ ਪਿਛਾਖੜੀ ਪਿਰਤ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸਨੂੰ ਸਰਕਾਰਾਂ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਦਬਾਉਣ, ਪਾਟਕ ਪਾਉਣ ਤੇ ਵੋਟਾਂ ਖਾਤਰ ਮੁਥਾਜਗੀਆਂ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਣਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪਹਿਲਾਂ ਵੀ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਜਸੂਸੀ ਕਰਨ ਦੇ ਕਦਮ ਚੱਕ ਰਹੀਆਂ ਸਰਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਹੋਰ ਅਖਤਿਆਰ ਦੇਣਾ ਹੈ। 
ਉਹਨਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸੱਦਾ ਦੇਣ ਵਾਲੀਆਂ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਵਿੱਚ ਭਾਰਤੀ ਕਿਸਾਨ ਯੂਨੀਅਨ (ਏਕਤਾ ਉਗਰਾਹਾਂ), ਭਾਰਤੀ ਕਿਸਾਨ ਯੂਨੀਅਨ (ਡਕੌਂਦਾ), ਕਿਸਾਨ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਮੇਟੀ ਪੰਜਾਬ,  ਪੰਜਾਬ ਖੇਤ ਮਜ਼ਦੂਰ ਯੂਨੀਅਨ, ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ, ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ (ਲਲਕਾਰ), ਕਾਰਖਾਨਾ ਮਜ਼ਦੂਰ ਯੂਨੀਅਨ, ਟੈਕਸਾਈਲ ਹੌਜਰੀ ਕਾਮਗਰ ਯੂਨੀਅਨ, ਪੀ.ਐਸ.ਯੂ. (ਲਲਕਾਰ), ਟੀ.ਐਸ.ਯੂ., ਪੀ.ਐਸ.ਯੂ. (ਸ਼ਹੀਦ ਰੰਧਾਵਾ) ਅਤੇ ਮੋਲਡਰ ਐਂਡ ਸਟੀਲ ਵਰਕਰਜ਼ ਯੂਨੀਅਨ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ।
ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਸੋਧ ਕਾਨੂੰਨ ਰੱਦ ਕਰਨ, ਐਨ.ਆਰ.ਸੀ. ਤੇ ਐਨ.ਪੀ.ਆਰ. ਦੇ ਕਦਮ ਵਾਪਸ ਲੈਣ, ਇਸਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰ ਰਹੇ ਲੋਕਾਂ 'ਤੇ ਪਾਏ ਝੂਠੇ ਕੇਸ ਰੱਦ ਕਰਨ, ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕੀਤੇ ਲੋਕ ਰਿਹਾਅ ਕਰਨ, ਜੇ.ਐਨ.ਯੂ. ਤੇ ਜਾਮੀਆ ਸਮੇਤ ਮੁਲਕ ਭਰ 'ਚ ਲੋਕਾਂ 'ਤੇ ਜਬਰ ਢਾਹੁਣ ਵਾਲੇ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਖਿਲਾਫ਼ ਸਖਤ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਤੇ ਕੇਸ ਦਰਜ ਕਰਨ, ਜੇ.ਐਨ.ਯੂ. 'ਚ ਨਕਾਬ ਪਾ ਕੇ ਆਏ ਸੰਘੀ ਗੁੰਡਿਆਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕਰਨ ਅਤੇ ਮੁਲਕ 'ਚ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕੀਤੇ ਹੋਏ ਬੁੱਧੀਜੀਵੀਆਂ ਨੂੰ ਰਿਹਾਅ ਕਰਨ, ਨਜ਼ਰਬੰਦੀ ਕੈਂਪ ਖਤਮ ਕਰਨ ਅਤੇ ਉੱਥੇ ਡੱਕੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਰਿਹਾਅ ਕਰਨ, ਦਿੱਲੀ 'ਚ ਮੜ੍ਹੇ ਐਨ.ਐਸ.ਏ ਸਮੇਤ ਸਾਰੇ ਕਾਲੇ ਕਾਨੂੰਨ ਰੱਦ ਕਰਨ ਦੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਲੋਕ 16 ਫਰਵਰੀ ਨੂੰ ਮਲੇਰਕੋਟਲਾ ਵਿਖੇ ਨਿਤਰਨਗੇ। ਇਹਨਾਂ ਹਾਜ਼ਰ  ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਨੇ ਸਭਨਾਂ ਜਮਹੂਰੀਅਤ ਤੇ ਇਨਸਾਫਪਸੰਦ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਰੈਲੀ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣਨ ਤੇ ਇਸ ਸੰਘਰਸ਼ ਦਾ ਅੰਗ ਬਣਨ ਦੀ ਅਪੀਲ ਕੀਤੀ।
ਆਗੂਆਂ ਨੇ ਆਖਿਆ ਕਿ ਅਸਾਮ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਮੱਸਿਆ 'ਚੋਂ ਨਿਕਲੇ ਕੌਮੀ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਰਜਿਸ਼ਟਰ ਨੂੰ ਮੁਲਕ ਭਰ 'ਚ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਦੇ ਕਦਮ ਭਾਜਪਾ ਦੀਆਂ ਫਿਰਕੂ-ਫਾਸ਼ੀ ਲਾਮਬੰਦੀਆਂ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ 'ਚੋਂ ਉਪਜੇ ਹਨ ਜਦਕਿ ਉੱਤਰ-ਪੂਰਬ ਦੇ ਕੁੱਝ ਰਾਜਾਂ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ, ਬਾਕੀ ਮੁਲਕ 'ਚ ਸ਼ਰਨਾਰਥੀਆਂ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਦਾ ਅਜਿਹਾ ਕੋਈ ਅਕਾਰ ਪਸਾਰ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਜਿਸ ਖਾਤਰ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਦੀ ਪਛਾਣ ਦਾ ਅਜਿਹਾ ਅਮਲ ਚਲਾਉਣ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੋਵੇ। ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਦੇ ਮਸਲੇ 'ਤੇ ਲਏ ਜਾ ਰਹੇ ਇਹ ਕਦਮ ਗੈਰ ਜਮਹੂਰੀ ਤੇ ਗੈਰ ਸੰਵਿਧਾਨਿਕ ਕਦਮ ਹਨ ਅਤੇ ਸਭਨਾਂ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਵਿਰੋਧ ਦੇ ਹੱਕਦਾਰ ਹਨ। ਉਹਨਾਂ ਆਖਿਆ ਕਿ ਮੋਦੀ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਆਪਣੀਆਂ ਲੁਟੇਰੇ ਸਰਮਾਏਦਾਰਾਂ ਤੇ ਕਾਰਪੋਰੇਟ ਪੱਖੀ ਨੀਤੀਆਂ ਤੋਂ ਧਿਆਨ ਤਿਲਕਾਉਣ ਲਈ ਤੇ ਬੇ-ਰੁਜ਼ਗਾਰੀ, ਮਹਿੰਗਾਈ, ਗਰੀਬੀ ਦੇ ਪੁੜਾਂ 'ਚ ਪਿਸ ਰਹੀ ਲੋਕਾਈ ਦਾ ਧਿਆਨ ਅਸਲ ਮੁੱਦਿਆਂ ਤੋਂ ਭਟਕਾਉਣ ਲਈ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਘੁਸਪੈਠੀਆਂ ਦਾ ਮੁੱਦਾ ਉਭਾਰਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਇਹ ਸਾਰੀ ਕਸਰਤ ਮੁਲਕ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਰਨਾਰਥੀਆਂ ਕਰਕੇ ਆਈਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਦਿਖਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਆੜ ਹੇਠ ਲੋਕਾਂ 'ਤੇ ਨਿੱਜੀਕਰਨ ਤੇ ਵਪਾਰੀਕਰਨ ਦੀਆਂ ਨੀਤੀਆਂ ਦਾ ਹਮਲਾ ਹੋਰ ਤੇਜ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਸਰਕਾਰੀ ਅਦਾਰੇ ਵੇਚਣ, ਕਿਰਤ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਨੂੰ ਹੋਰ ਵਧੇਰੇ ਮਜ਼ਦੂਰ ਦੋਖੀ ਬਣਾਉਣ, ਆਦਿਵਾਸੀਆਂ ਤੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਤੋਂ ਜੰਗਲ-ਜ਼ਮੀਨਾਂ ਖੋਹਣ ਤੇ ਦਲਿਤਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਮੀਨਾਂ ਤੋਂ ਵਾਂਝੇ ਰੱਖ ਕੇ ਜਬਰ ਹੋਰ ਤੇਜ ਕਰਨ ਦੇ ਕਦਮ ਲਏ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ।
ਉਹਨਾਂ ਦੋਸ਼ ਲਾਇਆ ਕਿ ਭਾਜਪਾ ਹਕੂਮਤ ਦੇ ਇਹਨਾਂ ਕਦਮਾਂ ਖਿਲਾਫ਼ ਸੰਘਰਸ਼ 'ਚ ਨਿਤਰ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਝਕਾਨੀ ਦੇਣ ਲਈ ਇੱਕ ਪਾਸੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਵੱਲੋਂ ਐਨ.ਆਰ.ਸੀ. ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਬਾਰੇ ਸ਼ਰੇਆਮ ਝੂਠ ਬੋਲੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ ਤੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਐਨ.ਪੀ.ਆਰ. ਦੇ ਜ਼ਰੀਏ ਐਨ.ਆਰ.ਸੀ. ਲਈ ਅੰਕੜੇ ਕੱਠੇ ਕਰਨ ਦਾ ਅਮਲ ਤੋਰਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।
ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਨੇ ਇੱਕ ਆਵਾਜ਼ ਹੋ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮੁਲਕ ਦੇ ਕਿਰਤੀ ਲੋਕਾਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ-ਕਾਲਜਾਂ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਅਤੇ ਬੁੱਧੀਜੀਵੀ ਤੇ ਜਮਹੂਰੀ ਹਲਕਿਆਂ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਨੂੰ ਦਬਾਉਣ ਲਈ ਢਾਹੇ ਜਾ ਰਹੇ ਜਬਰ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਵੀ ਕੀਮਤ 'ਤੇ ਬਰਦਾਸ਼ਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ ਅਤੇ ਰੋਸ ਪ੍ਰਗਟਾਉਣ ਤੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਨ ਦੇ ਜਮਹੂਰੀ ਹੱਕ ਨੂੰ ਹਰ ਹਾਲ ਬੁਲੰਦ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ। ਜੇ.ਐਨ.ਯੂ. ਅਤੇ ਜਾਮੀਆ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ 'ਚ ਪੁਲਿਸ ਤੇ ਆਰ.ਐਸ.ਐਸ. ਦੇ ਗੁੰਡਾ ਗ੍ਰੋਹਾਂ ਵੱਲੋਂ ਸ਼ਰੇਆਮ ਢਾਹੇ ਗਏ ਜਬਰ ਨੇ ਭਾਜਪਾ ਦੇ ਜਾਬਰ ਤੇ ਫਾਸ਼ੀ ਮਨਸੂਬਿਆਂ ਨੂੰ ਹੋਰ ਵਧੇਰੇ ਜੱਗ-ਜ਼ਾਹਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਭਾਜਪਾ ਹਕੂਮਤ ਵੱਲੋਂ ਬੋਲੇ ਗਏ ਇਸ ਜਾਬਰ ਹਮਲੇ ਖਿਲਾਫ਼ ਨਿਤਰੇ ਲੋਕਾਂ ਵੱਲੋਂ ਮੁਲਕ ਭਰ 'ਚ ਫਿਰਕੂ ਏਕਤਾ ਦਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਮੁਜ਼ਾਹਰਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਹੈ ਤੇ ਭਾਜਪਾ ਦੀਆਂ ਪਾਟਕ ਪਾਊ ਚਾਲਾਂ ਨੂੰ ਮਾਤ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਹੈ। ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀਆਂ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਧਾਰਮਿਕ ਫਿਰਕੇ ਦੀਆਂ ਔਰਤਾਂ ਦੀ ਲਾਮਬੰਦੀ ਤੇ ਟਾਕਰੇ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਕੇਂਦਰੀ ਹਾਕਮਾਂ ਦੇ ਗਲੇ ਦੀ ਹੱਡੀ ਬਣ ਗਈ ਹੈ ਅਤੇ ਮੁਲਕ ਭਰ ਦੀ ਵਿਰੋਧ ਲਹਿਰ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਬਣਕੇ ਉੱਭਰੀਆਂ ਇਹ ਔਰਤਾਂ ਮੁਲਕ ਦੇ ਸਭਨਾਂ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਟਾਕਰੇ ਦੇ ਰਾਹ ਪੈਣ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਬਣ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਥਾਂ-ਥਾਂ ਬਣ ਰਹੇ ਸ਼ਾਹੀਨ ਬਾਗ਼ ਲੋਕਾਂ ਅੰਦਰ ਉੱਬਲ ਰਹੇ ਰੋਹ ਦੇ ਫੁਟਾਰੇ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਧਾਰ ਗਏ ਹਨ। ਕੇਂਦਰੀ ਹਕੂਮਤ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਸੁਣਨ ਦੀ ਥਾਂ ਜਬਰ 'ਤੇ ਉਤਾਰੂ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਫਿਰਕੂ ਕਾਨੂੰਨ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ਐਨ.ਐਸ.ਏ. ਵਰਗੇ ਕਾਲੇ ਕਾਨੂੰਨ ਮੜ੍ਹ ਰਹੀ ਹੈ ਤੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਨੂੰ ਝੂਠੇ ਕੇਸਾਂ ਤੇ ਕਤਲਾਂ ਨਾਲ ਕੁਚਲ ਰਹੀ ਹੈ। ਮੁਲਕ 'ਚ ਦੋ ਦਰਜਨ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਲੋਕ ਪੁਲਿਸ ਦੀਆਂ ਗੋਲੀਆਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋਏ ਹਨ। 
ਅੱਜ ਦੀ ਮੀਟਿੰਗ ਵਿੱਚ ਝੰਡਾ ਸਿੰਘ ਜੇਠੂਕੇ, ਬੂਟਾ ਸਿੰਘ ਬੁਰਜ ਗਿੱਲ, ਕੰਵਲਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ ਪੰਨੂੰ, ਲਛਮਣ ਸਿੰਘ ਸੇਵੇਵਾਲਾ, ਲਖਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਰਾਜਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਇਕਬਾਲ ਸਿੰਘ, ਅਸ਼ਵਨੀ ਕੁਮਾਰ ਘੁੱਦਾ, ਛਿੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ, ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਸਿੰਘ, ਗੁਰਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ, ਮਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਧਨੇਰ ਸ਼ਾਮਲ ਸਨ।